हाइलाइट्स
प्रीडायबिटीज को सावधानी बरतकर रिवर्स किया जा सकता है.
डायबिटीज की बीमारी को कभी रिवर्स नहीं किया जा सकता है.
Normal Blood Sugar Level Chart: डायबिटीज के मरीजों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज का शिकार हो चुके हैं और करीब 15 करोड़ लोग प्रीडायबिटीज से जूझ रहे हैं. जानकारों की मानें तो अगले कुछ सालों में डायबिटीज महामारी का रूप ले सकती है. इस वक्त दुनियाभर में शुगर की बीमारी सबसे ज्यादा कहर बरपा रही है. हर साल लाखों की तादाद में लोग डायबिटीज की वजह से जान गंवा रहे हैं. डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है, जिसे इलाज के जरिए सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है. डायबिटीज को रिवर्स नहीं किया जा सकता है. एक बार बीमारी हो जाए, तो जिंदगीभर लोगों को इसका सामना करना पड़ता है. अब सवाल उठता है कि लोगों के शरीर में ब्लड शुगर की नॉर्मल मात्रा कितनी होनी चाहिए और कब डायबिटीज की बीमारी हो जाती है. इन सभी सवालों के जवाब डायबिटीज स्पेशलिस्ट से जान लेते हैं.
फोर्टिस हॉस्पिटल (ग्रेटर नोएडा) के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. दिनेश कुमार त्यागी के अनुसार डायबिटीज की बीमारी में लोगों के शरीर में इंसुलिन रजिस्टेंस हो जाता है या इंसुलिन बनना बंद हो जाता है. इसकी वजह से ब्लड शुगर बढ़ जाता है और इसका असर शरीर के सभी अंगों पर देखने को मिलता है. डायबिटीज प्रमुख तौर पर दो तरह की होती है, जिनमें टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज शामिल हैं. टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों के शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है या बेहद कम मात्रा में बनता है. इसकी वजह से शुगर लेवल हाई हो जाता है.
टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन तो बनता है, लेकिन इंसुलिन रजिस्टेंस पैदा हो जाता है, जिससे इसका सही इस्तेमाल नहीं हो पाता है. ऐसे में ब्लड शुगर लेवल काफी बढ़ जाता है. इंसुलिन हमारे शरीर में बनने वाला हॉर्मोन होता है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाता है. इंसुलिन की कमी या इसके प्रॉपर तरीके से काम न करने से शुगर लेवल बढ़ जाता है.
कितना होता है नॉर्मल ब्लड शुगर?
डॉ. दिनेश कुमार त्यागी कहते हैं कि ब्लड शुगर खाली पेट और खाने के बाद चेक किया जाता है. खाने से पहले शरीर का फास्टिंग ब्लड शुगर चेक किया जाता है और खाने के बाद शुगर लेवल चेक किया जाता है. सभी उम्र के लोगों को ब्लड शुगर करीब-करीब एक जैसा होता है. उम्र के हिसाब से इसमें कोई खास बदलाव नहीं आता है. फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 60mg/dL से 100 mg/dL के बीच हो, तो इसे नॉर्मल माना जाता है. खाने के 2 घंटे बाद ब्लड शुगर लेवल 120 से 140 mg/dL के बीच होना चाहिए. अगर आपका ब्लड शुगर इन मानकों के अंदर है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है.
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कब हो जाती है प्रीडायबिटीज?
डॉक्टर के अनुसार फास्टिंग ब्लड शुगर 100-124 mg/dL और पोस्ट मील शुगर 140-160 mg/dL के बीच हो, तो इसे प्रीडायबिटीज माना जाता है. ऐसे मरीजों को डायबिटीज होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है. प्रीडायबिटीज को लेकर लापरवाही बरती जाए, तो कुछ सालों में शुगर की बीमारी हो सकती है. यह एक ऐसी कंडीशन है, जिसे सावधानी बरतकर रिवर्स किया जा सकता है. हालांकि डायबिटीज हो जाए, तो उसे रिवर्स करना संभव नहीं है. प्रीडायबिटीज के मरीज HbA1C टेस्ट करा सकते हैं, जिसमें उनके पिछले तीन महीनों के ब्लड शुगर का एवरेज निकलकर सामने आएगा. इस टेस्ट का रिजल्ट 5.7 से 6.4 के बीच आए, तो प्रीडायबिटीज कंफर्म है.
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कब हो जाते हैं डायबिटीज के मरीज?
डॉ. त्यागी के मुताबिक जब फास्टिंग शुगर 125 mg/dL से ज्यादा हो जाए और पोस्ट मील शुगर 160 mg/dL या इससे ज्यादा हो जाए, तब यह डायबिटीज की बीमारी बन जाती है. डायबिटीज कंफर्म करने के लिए HbA1C टेस्ट कराया जाता है. अगर इस टेस्ट का रिजल्ट 6.5 या इससे ऊपर आए, तो डायबिटीज कंफर्म हो जाती है. ऐसे मरीजों को शुगर कंट्रोल करने की दवा लेने की जरूरत होती होती है. अगर आपकी उम्र 35 साल से ज्यादा है, तो आपको समय-समय पर HbA1C टेस्ट कराना चाहिए, ताकि सही समय पर शुगर की परेशानी का पता लगाया जा सके.
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FIRST PUBLISHED : October 6, 2023, 12:24 IST