एनर्जी से भरपूर ये दाल शरीर को बना देगी ‘बलशाली’, प्राचीन आयुर्वेद भी मानता है ‘लोहा’, हैरान कर देंगे इसके सेहत लाभ

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हाइलाइट्स

फूड हिस्टोरियन उड़द का उत्पत्ति स्थल भारत को ही मानते हैं.
विश्व के कुल उत्पादन में इस दाल की भारतीय भागीदारी 70 प्रतिशत है.
इस दाल में मांसपोशियों को पुष्ट व हड्डियों को मजबूत करने की भी क्षमता है.

Urad Dal Benefits and History: उड़द की दाल गजब है. पूरी दुनिया में जितने भी दलहन हैं, उनमें यह दाल सबसे बलशाली है. आप हैरान होंगे कि इस दाल को नॉनवेज के विकल्प के रूप में देखा जाता है यानी शरीर को नॉनवेज के सेवन से जितनी ‘ताकत’ मिलती है, उतना ही ‘बल’ देने वाली यह दाल है. उड़द में पाए जाने वाले मिनरल्स और विटामिन्स अन्य दालों में कम मात्रा में ही मिलेंगे. आज के न्यूट्रिशियन कंसलटेंट तो इस दाल के गुणों से प्रभावित हैं हीं, साथ ही प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ भी इसकी ऊर्जा का गुणगान कर रहे हैं. आप हैरान होंगे कि इस दाल को ‘रहस्यमयी’ भी माना जाता है.

उड़द का लसलसापन (Lacy) विशेष है

उड़द की दाल में पोषक तत्वों की भरमार है. इसमें पाया जाने वाला चिपचिपा या लसलसापन (Lacy) ही इसे विशेष बनाता है. अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) का निष्कर्ष है कि उड़द में बेहतर कैलोरी के अलावा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, एडिबल फाइबर, फोलेट (ब्लड में रेड सेल्स बढ़ाने में मददगार), सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, जिंक सहित कई अन्य विटामिन्स व मिनरल्स पाए जाते हैं. शरीर को जितने पोषक तत्वों की आवश्यकता है, उड़द उसे देने में एक परफेक्ट दाल है. इसके कुछ खास गुणों से आपको अवगत कराते हैं.

1. आयुर्वेद इसे नॉनवेज का विकल्प भी मानता है. भारतीय जड़ी-बूटियों, फलों व सब्जियों पर व्यापक रिसर्च करने वाले जाने-माने आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य बालकिशन का कहना है कि वास्तव में आमिष (Nonveg) भोजियों के लिए जिस प्रकार मांस पुष्टिदायक माना जाता है. उसी प्रकार या उससे बढ़कर निरामिष भोजियों के लिए माष अर्थात उड़द मांसवर्धक और पुष्टिकर होती है. इसमें पाए जाने वाले विशेष तत्व न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यौन स्वास्थ्य के परेशानियों को सुधारने में भी मदद करते हैं. उड़द प्रकृति से मधुर, गर्म तासीर की होती है. उड़द की दाल वात कम करने वाली, शक्तिवर्द्धक, खाने में रुचि बढ़ाने वाली, कफ-पित्तवर्धक, शुक्राणु बढ़ाने वाली, वजन बढ़ाने वाली, रक्तपित्त के प्रकोप को कम करने वाली है. इसका प्रयोग पाइल्स, सांस की परेशानी में लाभप्रद होता है. इसके अलावा उड़द अनिद्रा की बीमारी में बहुत फायदेमंद होती है, क्योंकि इसके सेवन से नींद आती है.

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फूड हिस्टोरियन उड़द की उत्पत्ति स्थल भारत को ही मानते हैं.

2. दिल्ली नगर निगम के चीफ मेडिकल ऑफिसर, मनोचिकित्सक व आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. आरपी पाराशर के अनुसार, भारत के प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में उड़द (माष:) की दाल शरीर के लिए गजब ‘बलशाली’ माना गया है. तीन हजार वर्ष पूर्व लिखे गए ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ इसे उत्कृष्ट, वातनाशक, स्निग्ध, मधुर और बलकारक तो बताया ही गया है. एक अन्य प्राचीन ग्रंथ ‘सुश्रुतसंहिता’ में भी उड़द को ‘बलशाली’ कहा गया है. आयुर्वेद के अनुसार, यह दाल महिलाओं के लिए भी गुणकारी है. इसमें आयरन व प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, इसलिए यह दाल पीरियड्स के दिनों में होने वाली कमजोरी को रोकती है और एनीमिया से बचाव करती है. इसे एमेनोरिया और पीसीओएस (पीरियड्स से जुड़ी समसयाएं) के निदान के लिए भी प्रभावी माना जाता है.

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3. इस दाल में मांसपोशियों को पुष्ट व हड्डियों को मजबूत करने की भी क्षमता है. इसमें मैग्नीशियम, आयरन, पोटैशियम, फॉस्फोरस और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज पर्याप्त मात्रा में हैं. यही पोषक तत्व मांसपेशियों को पुष्ट करते हैं, उनमें पैदा होने वाले क्षरण (Erosion) को लगातार सुधारकर उसे विकसित करते रहते हैं. इस दाल में मौजूद लसलसापन हड्डियों के घनत्व (Density) को बरकरार रखने में मदद करता है. असल में पोषक तत्वों की कमी, अन्य कारणों या बढ़ती उम्र के चलते हड्डियों का घनत्व घटने लगता है, जिस कारण हड्डियों के टूटने और ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन दाल में पाए जाने वाले यह पोषक तत्व इस समस्या को दूर रखने में मदद करते हैं.

4. इस दाल में ठीक-ठाक मात्रा में मौजूद कैलोरी व कार्बोहाइड्रेट शरीर में एनर्जी का संचार करते हैं. ऐसा भी माना जाता है कि इसमें मौजूद एडिबल फाइबर ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है. इस दाल में विटामिन ए व सी भी पाया जाता है, जिसे स्किन का ग्लो बनाए रखने के लिए भी जाना जाता है. यही विटामिन्स व अन्य मिनरल्स शरीर को जोड़ों के दर्द से भी बचाने में सहायक हैं. इस दाल को हार्ट के लिए भी लाभकारी माना जाता है. रिसर्च बताती है कि इस दाल के गुणकारी तत्व हार्ट व ब्लड सेल्स को विभिन्न गड़बड़ियों (Atherosclerosis) से बचाने में सहायक हैं. चूंकि, इसमें पोटैशियम है, इसलिए ब्लड प्रेशर का खतरा भी कम बना रहेगा.

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उड़द का इतिहास और सफर

फूड हिस्टोरियन उड़द का उत्पत्ति स्थल भारत को ही मानते हैं. देश में यह कई शताब्दी ईसा पूर्व से उगाई जाने लगी थी. भारतीय अमेरिकी वनस्पति विज्ञानी सुषमा नैथानी के अनुसार, उड़द का उत्पत्ति केंद्र इंडो-बर्मा उपकेंद्र घोषित किया गया है, जिनमें वर्तमान भारत का असम व म्यामार शामिल है. ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में लिखे गए कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में उड़द की खेती करने के सुझाव दिए गए हैं. भारत से निकलकर उड़द अफ्रीकी, यूरोपीय, अमेरिकी और अन्य एशियाई देशों में फैली. विशेष बात यह है कि विश्व के कुल उत्पादन में इस दाल की भारतीय भागीदारी 70 प्रतिशत है. उड़द ‘रहस्यमयी’ भी है. ज्योतिष शास्त्र और तंत्र विद्या से भी इसका जुड़ाव है. अथर्ववेद में तंत्र-मंत्र से जुड़े कुछ श्लोकों में उड़द को आवश्यक सामग्री बताया गया है. ज्योतिषीचार्य भव-बाधा दूर करने के उपायों में उड़द की दाल को भी शामिल करते हैं, जिनमें शनिप्रकोप, पितृदोष आदि का निवारण शामिल है.

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