सर्दी के मौसम में कफ से जकड़ जाए सीना, तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे, तुरंत मिलेगा आराम

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हिना आज़मी/ देहरादून.उत्तर भारत में शीतलहर बढ़ती जा रही है. मौसम में हो रहे बदलाव और सूखी ठंड के प्रकोप से सर्दी-जुकाम और वायरल जैसी बीमारियां लोगों को जकड़ रही हैं. सर्दी के इन दिनों में ज्यादातर लोगों को कफ की दिक्कत हो जाती है. निमोनिया या किसी भी कारणवश यह कफ आपके सीने को जकड़ लेता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. बहुत खांसी भी होने लगती है. छोटे बच्चों में यह दिक्कत बहुत बढ़ जाती है. ऐसे में कुछ घरेलू नुस्खों से राहत पाई जा सकती है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून निवासी आयुर्वेदिक डॉक्टर शालिनी जुगरान ने कहा कि विंटर्स सीजन में जुकाम होने पर आपकी नाक और गले में सबसे पहले इरीटेशन सी महसूस होती है. इसके लिए सबसे पहले तो आपको ठंडे पानी के इस्तेमाल से बचाव करना चाहिए. कोशिश करें कि आप हल्का गुनगुना पानी ही पिएं. अगर किसी को सर्दी होने का आभास होता है, तो हल्के गुनगुने पानी में आप थोड़ा नमक डालकर गले को सेंक सकते हैं और गरारे कर सकते हैं. इसके अलावा सोने से पहले नाक पर विक्स जरूर लगाएं. इससे आपका जुकाम बढ़ने की संभावना 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है.

अदरक-तुलसी का रस रामबाण इलाज!

डॉ शालिनी जुगरान ने कहा कि कुछ घरेलू नुस्खों से भी कोल्ड और कफ से राहत मिल सकती है. अदरक को क्रश करने के बाद उसका रस निकालकर और फिर 15 से 20 तुलसी के पत्ते लेकर उसका रस निकालकर इन दोनों के रस के मिश्रण का सेवन दिन में दो से तीन बार करने से कफ में राहत मिलती है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा आंवला में बहुत अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, इसलिए तुलसी के पत्ते के रस के साथ आंवले का रस भी लिया जा सकता है. इसके अलावा मुलेठी को भी शहद के साथ सेवन करने से राहत मिलती है. काली मिर्च के पाउडर को शहद में लेने से भी कफ में राहत मिलती है. वहीं छोटे बच्चों को अदरक का रस और तुलसी के पत्ते का रस एक-दो ड्रॉप देने से उनको भी कफ में राहत मिलती है.

हल्दी से खत्म होता है इंफेक्शन

डॉ जुगरान ने आगे कहा कि इसके अलावा हल्दी में ऐसे गुण होते हैं, जो किसी भी तरह के इंफेक्शन को बढ़ने से रोकते हैं. दूध में थोड़ी हल्दी डालकर पी सकते हैं.वहीं आप शहद और अदरक की बनी गरमा-गरम चाय पिएं. अदरक और शहद आपके गले को आराम देंगे. उन्होंने बताया कि हमारी नाक के अंदर मौजूद कोशिकाओं में दुश्मन वायरस की पहचान करने वाले सेंसर लगे होते हैं. इन सेंसर्स को खबर लगते ही ये हमारी शरीर के लड़ाके वाइट ब्लड सेल्स को सिग्नल भेजते हैं. यह सिग्नल सायटोकाइन और केमिकल के रुप में भेजे जाते हैं. यह सिग्नल मिलते ही रक्षक सेल शरीर इंफेक्ट वाले हिस्से में अपना एक्शन शुरु कर देते हैं. इसके आगे बढ़ने के बाद ही आपको नाक और गले में असहज महसूस होता है. वायरल बीमारियों के साथ चल रही अंदरूनी लड़ाई के चलते ही आपको थकान महसूस होती है. शरीर की इस हरारत के समय सुझाव है कि आप आराम करें तो बेहतर होगा.

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और हेल्थ बेनिफिट रेसिपी की सलाह, हमारे एक्सपर्ट्स से की गई चर्चा के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, न कि व्यक्तिगत सलाह. हर व्यक्ति की आवश्यकताएं अलग हैं, इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. कृपया ध्यान दें, Local 18 की टीम किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगी.

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