नई दिल्ली. ‘अमृत रत्न अवॉर्ड 2023’ के दूसरा संस्करण का आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर न्यूज18 इंडिया की ओर से किया जा रहा है. देश के अमृत रत्न के रूप में जिन हस्तियों को सम्मानित किया जाएगा उन्हें भारत के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, पूर्व थलसेना अध्यक्ष जनरल वेद प्रकाश मलिक, शास्त्रीय नृत्यांगना और राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह, पूर्व एथलीट और राज्यसभा सांसद पी टी उषा और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अशोक सेठ की ज्यूरी चुनेगी. आइये हम आपको ज्यूरी का हिस्सा रंजन गोगोई के बारे में बताते हैं.
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1978 में बार में शामिल हुए जस्टिस रंजन गोगोई ने मुख्य रूप से गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत की. वो 28 फरवरी, 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए. फिर 9 सितंबर, 2010 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में उनका ट्रांसफर हो गया था.
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बाद में 12 फरवरी, 2011 को जस्टिस रंजन गोगोई पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए. जस्टिस गोगोई 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए. इसके बाद 3 अक्टूबर 2018 को उन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्त किया गया. नवंबर 2019 में वो सीजेआई के पद से रिटायर हो गए. इस वक्त गोगोई राज्यसभा सांसद हैं. (PTI)
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असम के डिब्रूगढ़ में जन्मे और पले-बढ़े हुए रंजन गोगोई एक राजनीतिक परिवार से हैं. वो राज परिवार से आते हैं. गोगोई अहोम साम्राज्य के वंशज हैं. उनके नाना-नानी दोनों विधायक रह चुके हैं. इतना ही नहीं उनकी दादी पद्मा कुमारी गोहेन विधायक रहने के साथ-साथ असम कैबिनेट में पहली महिला मंत्रियों में से एक थीं. (ANI)
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असम के डिब्रूगढ़ में जन्मे और पले-बढ़े हुए रंजन गोगोई एक राजनीतिक परिवार से हैं. वो राज परिवार से आते हैं. गोगोई अहोम साम्राज्य के वंशज हैं. उनके नाना-नानी दोनों विधायक रह चुके हैं. इतना ही नहीं उनकी दादी पद्मा कुमारी गोहेन विधायक रहने के साथ-साथ असम कैबिनेट में पहली महिला मंत्रियों में से एक थीं. (PTI)
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रंजन गोगोई के पिता केसब चंद्र गोगोई 1982 में दो महीने के लिए असम के मुख्यमंत्री रहे. गोगोई एकमात्र ऐसे मुख्य न्यायाधीश रहे, जो एक पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे हैं. वह पूर्वोत्तर भारत से पहले मुख्य न्यायाधीश भी हैं. गोगोई ने गुवाहाटी की कॉटन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने प्रैक्टिस शुरू की. (PTI)
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राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद का निपटारा जस्टिस रंजन गोगाई की रिटायरमेंट से पहले साल 2019 में हुआ था. इसके अलावा राफेल सौदे पर उन्होंने महत्वपूर्ण फैसले लिए. 2020 में उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया गया. वह राज्यसभा में सेवा देने वाले सुप्रीम कोर्ट के तीसरे न्यायाधीश हैं. (AP)