(विश्वदेव शर्मा). नीमच. वैसे तो ड्रग्स यानी अफीम बेचना और खरीदना अपराध है, लेकिन अजब-गजब मध्य प्रदेश में एक ऐसा जिला है जहां जो जितनी अफीम बेचता है उसकी उतनी इज्जत होती है. अगर उसके पास अफीम के खेत नहीं, तो समाज में उसकी इज्ज्त नहीं. कमाल की बात यह भी है कि अफीम की इस खरीद-फरोख्त के बीच पुलिस की ये मजाल नहीं कि वो किसी को हाथ भी लगा सके. एमपी का यह अनोखा जिला है नीमच. दरअसल, यहां सरकार की अफीम की खेती कराती है. यहां अफीम का पट्टा और लाइसेंस किसान की मान-प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है. पट्टेदार व लाइसेंसी किसान को समाज में सम्मान तो मिलता ही है, साथ ही बाजार में उसकी साख भी होती है.
बता दें, नीमच में अफीम की खेती को ‘काला सोना’ भी कहा जाता है. इन दिनों खेतों में इस काले सोने की फसल लहलहाने लगी है. समय के साथ अफीम की सुरक्षा के प्रति किसानों और उनके परिजनों की जिम्मेदारी भी बढ़ती जा रही है. किसानों को 24 घंटे अफीम की फसल की देखरेख और पहरेदारी करनी पड़ रही है. आगामी दिनों में फसल की बढ़त के साथ यह जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाएगी. गौरतलब है कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो से मिले पट्टों के आधार पर पात्र किसान अफीम की फसल बोते हैं.
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हर वक्त रखनी पड़ती है नजर
नीमच जिले में अफीम उत्पादक किसानों की संख्या अच्छी खासी है. जिले के ग्राम रेवली देवली के किसान सुरेशचंद्र नागदा बताते हैं कि बोवनी के बाद से फसल की कटाई तक अफीम के लाइसेंसी व पट्टेदार किसानों का आशियाना खेतों पर ही रहता है. अफीम का पौधा बेहद नाजकु होता है. इस वजह से इसकी देखरेख अधिक करनी पड़ती है. पशु-पक्षियों के अलावा इसे तस्करों व असामाजिक तत्वों से भी बचाना पड़ता है. वर्तमान में अफीम के पौधे लगभग डेढ़ से दो माह के हो चुके हैं. कुछ दिनों में इनमें फूल व फल लगना शुरू होंगे.
अफीम के पौधे का हर भाग उपयोगी
नागदा के अनुसार अफीम की फसल लगभग चार माह की होती है. अक्टूबर-नवंबर में फसल की बोवनी होती है और फरवरी-मार्च में फसल कट जाती है. अफीम के पौधे का हर भाग उपयोगी होता है. शुरुआत में पौधे की छंटनी में निकलने वाले पत्ते अफीम की भाजी कहलाते हैं और सब्जी में उपयोग किए जाते हैं. केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग तय मानकों के अनुरूप ही अफीम खरीदता है. पोस्ता दाना (खसखस) किसान मंडी में विक्रय करते हैं. जबकि, डोडाचूरा (फसल के अंत में पौधे व डोडों का सूखा भाग) पूर्व में आबकारी विभाग की मॉनीटरिंग में खरीदा जाता था लेकिन शासन की नीतियों के अनुसार इसका नष्टीकरण किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : January 14, 2024, 10:10 IST