बाप रे बाप…चूहों की इतनी हिम्मत, हिला दी घर की नींव, गांव-बस्ती नहीं पूरे शहर के लोगों ने पकड़ लिया माथा

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जमशेदपुर में चूहों के आतंक से परेशान हुए लोग.
घर की नींव तक को चूहों ने कर दिया क्षतिग्रस्त.

जमशेदपुर: आमतौर पर शहर के लोग आवारा पशुओं से परेशान होते हैं. लेकिन झारखंड के जमशेदपुर में चूहे लोगों के सिरदर्द बन गए हैं. आम लोगों के साथ-साथ व्यापारी भी चूहों के हमलों से परेशान हो गए हैं. घर के सामान, गाड़ियों के साथ-साथ घरों को भी चूहे अपना निशाना बना रहे हैं. शहर के सोनारिया इलाके में रहने वाले शंभू साहू ने अफसोस जताते हुए बताया कि पिछले कुछ समय से चूहों ने उनके घर में बिल बना लिया है और घर की नींव तक को क्षतिग्रस्त कर दिया है. जिसके चलते उनके घर में कई सारी दरारें आ गई हैं.

घर में दरार आने पर जब शंभू ने भवन निर्माण विशेषज्ञों से कारण जाना तो हैरान रह गए. क्योंकि उन्होंने बताया कि उनके घर की नींव क्षतिग्रस्त हो गई है. निजी कंपनी में काम करने वाले शंभू ने कहा, ‘घर के मरम्मत में लगने वाली रकम उनकी कमाई के मुकाबले बहुत ज्यादा है.’ टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक उसी इलाके में रहने वाले अरुण दास ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में चूहों की संख्या तेजी से बढ़ी है और इसके चलते उनके घर में रखे महंगे इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंस को नुकसान हो रहा है. क्योंकि आए दिन चूहे तारों को काट देते हैं.

अरुण ने बताया कि हाल ही में चूहों ने उनकी कार के इंटीरियर को नुकसान पहुंचाया था. अरुण ने कहा कि उन्हें ठीक करने से उनका महीने का बजट खराब हो गया. पिछले महीने चूहों ने कदमा में रह रहे अरुण के दोस्त की बाइक को भी नुकसान पहुंचाया. बिस्टुपुर में एक कंसल्टेंसी फर्म चलाने वाली शीतल शर्मा ने बताया कि उनके यहां चूहों ने दो कंप्यूटर काट दिए और फाइल भी काट दिए, जिसके चलते मजबूरीवश पेस्ट कंट्रोल वालों को बुलाना पड़ गया.

एक निजी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और पर्यावरण वैज्ञानिक दीपक कुमार ने कहा, “चूहे रहने के लिए ऐसी जगहों की तलाश करते हैं जो उन्हें जीवित रहने के लिए आवश्यक सभी चीजें मिल रही हों. जैसे कि भोजन, पानी, आश्रय और उनके आसपास रहने के लिए सुरक्षित जगह. कचरा और अव्यवस्था चूहों को भोजन करने और छिपने की जगह देते हैं.’ कीट नियंत्रण फर्म चलाने वाले रितेश अग्रवाल ने कहा कि हाल के वर्षों में, पूरे शहर में खाद्य विक्रेताओं की संख्या में वृद्धि हुई है और वे अपना बचा हुआ खाना पास के इलाके में फेंक देते हैं, जो चूहों के लिए पर्याप्त भोजन है.

बाप रे बाप...चूहों की इतनी हिम्मत, हिला दी घर की नींव, गांव-बस्ती नहीं पूरे शहर के लोगों ने पकड़ लिया माथा

उन्होंने कहा कि चूहे किसी एक संपत्ति, पूरे ब्लॉक या पूरे पड़ोस के लिए समस्या हो सकते हैं, इसलिए उन्हें समन्वित प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है. चूहों की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए संपत्ति मालिकों को मिलकर काम करने की जरूरत है. उन्होंने साकची, बिस्टुपुर, सोनारी, कदमा और शहर के अन्य इलाकों में फूड वेंडिंग जोन की ओर इशारा किया, जहां डंप किए जाने के 12 घंटे से अधिक समय बाद बचा हुआ खाना सुबह एकत्र किया जाता है.

Tags: Jamshedpur news, Weird news

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