आकाश में 3 करोड़ किमी दूर से आई एक बिल्ली की वीडियो, नासा ने जारी की फुटेज, पहुंचने लगे 100 सेकेंड

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हाइलाइट्स

वीडियो को डीप स्पेस कम्युनिकेशन एक्सपेरिमेंट के तहत भेजा गया.
आगे भी इस तरह की वीडियो भेजी जाने की उम्मीद है.
नासा एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में और दूर भेजने की तैयारी कर रहा है.

नई दिल्ली. नासा ने लेजर लाइट का पीछा करती एक बिल्ली की वीडियो जारी की है. यह वीडियो हाई-डेफिनेशन में है और इसे धरती पर नासा की कैलिफोर्निया स्थित एक लेबोरेट्री तक पहुंचने में 101 सेकेंड का समय लगा है. यह वीडिया 1.9 करोड़ मील (30577536 किलोमीटर) दूर से आई है. यह पृथ्वी से चांद की दूरी का करीब 80 गुना है. अब तक इतनी दूर से कोई वीडियो नहीं भेजी गई है. दरअसल, यह वीडियो नासा ने ही स्ट्रीम की थी. यह वीडियो भविष्य में मंगल ग्रह व स्पेस में और दूर भेजे जाने वाले मिशन्स को ध्यान में रखते हुए किये गए ट्रायल का हिस्सा है.

वीडियो को नासा ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट किया है. यह वीडियो 11 दिसंबर को ट्रांसमिट की गई थी. हालांकि, फुटेज 19 दिसंबर को रिलीज की गई है. नासा ने यह साफ किया है कि सच में किसी बिल्ली को ऊपर नहीं भेजा गया है.

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वीडियो का सोर्स
यह बिल्ली नासा के ही एक कर्मचारी की है. जिसकी वीडियो पृथ्वी पर रिकॉर्ड की गई थी. इस बिल्ली का नाम टेटर्स है. टेटर्स की रिकॉर्डेड वीडियो अक्टूबर में स्पेस में भेजे गए नासा के साइक स्पेसक्राफ्ट में अपलोड की गई थी. यह स्पेसक्राफ्ट सूर्य और गुरु के बीच एक उल्का पिंड की ओर बढ़ रहा है जो धातु से भरा हुआ है. साइक मिशन का मुख्य काम इस उल्का के धातुओं का अध्ययन है. हालांकि, इसका इस्तेमाल डीप स्पेस में नई लेजर कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी को टेस्ट करने के लिए भी किया जा रहा है. यह इस टेस्ट की पहली वीडियो थी. नासा के मुताबिक, ऐसी और वीडियो टेस्ट की जाएंगी.

101 सेकेंड में पहुंची
इस वीडियो को लेजर टेक्नोलॉजी की मदद से ट्रांसमिट किया गया है. यह वीडियो नासा के डीप स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशन का हिस्सा है. इस वीडियो को वहां से यहां पहुंचने में 101 सेकेंड का समय लगा है. गौरतलब है कि वीडियो को 267 एमबीपीएस की स्पीड से पृथ्वी की ओर भेजा गया है. इसे एक फ्लाइट लेजर ट्रांसीवर की मदद से धरती की तरफ भेजा गया है.

कैसे आई वीडियो?
नासा के इस एक्सपेरिमेंट में तीन कॉम्पोनेंट का इस्तेमाल किया गया है. पहला, ट्रांसीवर जो स्पेसक्राफ्ट में लगा है. 2 पार्ट धरती पर हैं. एक ग्राउंड लेजर ट्रांसमीटर और दूसरा ग्राउंड लेजर रिसीवर. इन तीनों एक प्रणाली का हिस्सा है जिसे DSOC (डीप स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशन) नाम दिया गया है. पहले धरती पर मौजूद ट्रांसमीटर ने एक लेजर बीम साइक एयरक्राफ्ट की ओर फेंकी. इसके बाद साइक ने इस सिग्नल को पकड़ा और फिर उसने अपने पास पहले से अपलोड की गई वीडियो को धरती पर रिसीवर को भेजा.

Tags: Information and Technology, Nasa, Tech News in hindi

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