पेट को ‘क्लियर’ रखता है पपीता, हड्डियों को मजबूत बनाने वाले गुणों से भरपूर, केमिकल वाला पपीता खाने से बचें, वरना होगा नुकसान

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हाइलाइट्स

पपीता त्वचा को स्वस्थ व चिकना बनाए रखता है. यह खुजली व एक्जिमा कंट्रोल करने में प्रभावी है.
पपीते में मौजूद अमीनो एसिड हड्डियों और मांसपेशियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं.

Papaya Health Benefits: दुनिया में जितने भी फल पाए जाते हैं, उनमें से पपीता सबसे ‘मुलायम’ फलों में से एक है. लेकिन गुणों के मसले में यह बहुत ही मजबूत है फ्रूट है. इसका नियमित सेवन किया जाए तो यह पेट में कब्ज (Constipation) को कभी भी डेरा जमाने नहीं देगा. आपका पाचन सिस्टम हमेशा स्मूद रहेगा. इसकी बड़ी विशेषता यह है कि इसमें पाए जाने वाले मिनरल्स बॉडी की हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करते हैं. आयुर्वेद पपीते को शानदार फल मानता है. पपीते का पेड़ ‘जड़ी-बूटी वाला पौधा’ है और इसमें कोई तना (लकड़ी) नहीं होता है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के कृषि विज्ञानी प्रो़ रंजीत सिंह व प्रो़ एसके सक्सेना ने अपनी पुस्तक ‘Fruits’ में पपीते के बारे में बेहद रोचक जानकारी दी है.

उनका कहना है कि पिछले 50 वर्षों में इसने सबसे अधिक लोकप्रियता हासिल की है. यह लगभग एक वर्ष में फल देने लगता है. जब भारत में इसकी उत्पत्ति हुई तब इस फल को लेकर लोगों में पूर्वाग्रह था. पंजाब में इस फल को असहनीय गंध वाला माना जाता था तो साउथ इंडिया में इसे महिलाओं की कुछ बीमारियों का कारण माना जाता था. यह एक बेहद पौष्टिक व गुणकारी फल है. इसमें प्रोटीन और समान मात्रा में खनिज के अलावा लोहा, कैल्शियम और फास्फोरस होता है. इसमें विटामिन ए, विटामिन सी के अलावा पपेन एंजाइम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो प्रोटीन के पाचन में मदद करता है. मांस के साथ पकाए गए कच्चे पपीते का एक छोटा टुकड़ा मीट को मुलायम बना देता है. पपेन एक बहुत ही उपयोगी उत्पाद है. यह स्किन के दाग-धब्बों को दूर करता है, पेट के अल्सर, डिप्थीरिया और यहां तक कि कैंसर के इलाज के लिए भी फायदेमंद माना जाता है.

जानें पपीता खाने के बड़े फायदे

1. मुंबई यूनिवर्सिटी के पूर्व डीन व वैद्यराज दीनानाथ उपाध्याय के अनुसार अगर आप कब्ज से परेशान हैं या उससे बचना चाहते हैं तो पपीते का नियमित सेवन करें. इसका सेवन अपच, सीने में जलन, एसिड रिफ्लक्स (हल्का पेटदर्द) और पेट के अल्सर सहित सभी प्रकार की पेट की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है. इसमें भरपूर फाइबर है जो हमारे पाचन तंत्र के लिए बहुत गुणकारी है. पपीते में प्रोटीन-घुलनशील पपेन नामक एक पाचन सुपर एंजाइम भी होता है, जो पेट की कई बीमारियों को कम करता है और पाचन में सहायता करता है. पेट के लिए पपेन गजब है, जो शरीर में अधिक मात्रा में मौजूद प्रोटीन को तोड़कर उसे बेअसर कर देता है. यह वजन को भी कंट्रोल करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है.

2. पपीते में पाए जाने वाले पोषक तत्व हड्डियों के लिए भी लाभकारी है. इसमें मौजूद एंजाइम हड्डियों के घनत्व और ताकत को बढ़ाने में महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं. इसमें मौजूद विटामिन्स कैल्शियम अवशोषण में सुधार करते हैं. यानी शरीर में कैल्शियम का अनुपात जितना अधिक होगा, हड्डियों की मजबूती और पुनर्निर्माण उतना ही अधिक होगा. इसलिए हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए पपीते का सेवन की सलाह दी जाती है. इसीलिए इसे हड्डियों से जुड़े रोगों रूमेटॉइड आर्थराइटिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस (जोड़ों में दर्द व अकड़न) का प्रभाव कम करने में प्रभावी माना जाता है. यह गठिया में भी राहतकारी है, जो पीड़ित लोगों के लिए एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) के रूप में काम करता है. एक विशेष बात यह है कि पपीते में मौजूद अमीनो एसिड हड्डियों, मांसपेशियों, त्वचा और लिवर कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

3. पपीते को हृदय के लिए भी गुणकारी माना जाता है. इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट विटामिन व खनिज पाए जाते हैं जो हृदय रोगों को दूर रखने व एथेरोस्क्लेरोसिस (रक्तकोशिकाओं के विकार) और मधुमेह को कंट्रोल करने में मदद करते हैं. यह कोलेस्ट्रॉल को भी मैनेज करता है, जो दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण बन सकता है. विशेष बात है कि पपीते में पर्याप्त मात्रा में मौजूद एडिबल फाइबर भी शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मदद करता है. ऐसा भी माना जाता है कि इसमें मौजूद विटामिन ए, बीटा कैरोटीन फेफड़ों में सूजन को रोकने और कम करने में मदद करते हैं. यह धूम्रपान करने वालों के लिए फायदेमंद है. इसका नियमि सेवन अस्थमा से बचा सकता है. आयुर्वेद मानता है कि मधुमेह पीड़ित लोगों को पपीता शांत रखता है.

4. पपीते का नियमित सेवन कुछ और समस्याओं से बचाए रखता है. इसका सेवन रतौंधी को रोकने में मददगार है. इसमें मौजूद फ्लेवोनोइड्स (रोगप्रतिरोधी गुण) नेत्र विकारों को रोकने में भी मदद करता है. रिसर्च जारी है कि क्या पपीता कैंसर के खतरे को कम कर सकता है. ऐसा माना जाता है कि इसमें कुछ ऐसे तत्व हैं जिनमें कीमोथेराप्यूटिक प्रभाव होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोककर कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं. यह त्वचा को स्वस्थ व चिकना बनाए रखता है और उसकी चमक को भी बनाए रखता है. त्वचा में खुजली जैसे एक्जिमा को कंट्रोल करने में यह प्रभावी है. त्वचा के धब्बों को भी पपीता निष्प्रभावी कर सकता है. इसका नियमित सेवन तनाव कम करता है और दिमाग को कूल बनाए रखता है. पपीता में मौजूद विटामिन ए को बालों के लिए लाभकारी माना जाता है. दुख की बात यह है कि ज्यादातर शहरों में पपीते को हानिकारक केमिकल से पकाकर बेचा जाता है, जो शरीर को फायदा नहीं पहुंचाता. ऐसे पपीतों को खाने से बचना चाहिए. कच्चे पपीते को घर में ही अखबार में अच्छी तरह लपेटकर पकाया जा सकता है.

दिलचस्प है पपीते का इतिहास व सफर

फूड हिस्टोरियन मानते हैं कि पपीता भारतीय फल नहीं है ओर यह उष्णकटिबंधीय पौधा अमेरिका और मेक्सिको का मूल निवासी है. 14वी-15वीं शताब्दी तक यह पूरे मध्य और दक्षिण अमेरिका में उगने लगा था और उस वक्त नाश्ते में खाया जाता था. 16वीं शताब्दी के आसपास स्पेनिश इसके बीज एशिया में लेकर आए, वहां से यह भारत पहुंचा और यही से चीन और इटली भेजा गया. अब यह फल पूरी दुनिया और प्रशांत द्वीप समूह के लगभग सभी उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खूब फलता-फूलता है. भारत पपीते का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. दुनिया का करीब 35 प्रतिशत पपीते का उत्पादन भारत में ही होता है. राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की जानकारी के अनुसार आंध्र प्रदेश और उड़ीसा पपीते का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. इसके बाद गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, असम, तमिलनाडु में इसे खूब उगाया जाता है.

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Tags: Fruits, Health, Lifestyle

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