This special honey prepared in VTR is 2 in 1, there will be no tension of finding basil leaves while eating. – News18 हिंदी

Picture of Gypsy News

Gypsy News

आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण. सर्दियों में शहद का इस्तेमाल लगभग हर कोई करता है. इसके औषधीय गुणों को बढ़ाने के लिए बहुत से लोग शहद के साथ तुलसी के पत्तों का भी इस्तेमाल करते हैं. आयुर्वेद के अनुसार शहद के साथ तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए कई गुणकारी चीजों को बढ़ावा देता है.

ऐसे में सवाल ये उठता है कि यदि तुलसी के एक पत्ते का इस्तेमाल शहद के गुण को कई गुना बढ़ा सकता है, तो जंगल में तुलसी के सैकड़ों पौधों के पास निर्मित शहद कितना गुणकारी होगा. आज हम आपको इसी पहलू पर खास जानकारी देने वाले हैं.

तुलसी के रस से निर्मित शहद

पश्चिम चम्पारण जिले में स्थित वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में बड़े स्तर पर मधुमक्खी पालन किया जा रहा है. बड़ी बात यह है कि यहां पाए जाने वाले फलों और फूलों के अनुसार मधुमक्खियां के शहद निर्माण होता है. ट्रेनर और मधुमक्खी पालक शुभम बताते हैं कि मधुमक्खियां एक अपने छत्ते के एक सीमित दायरे में मौजूद फलों एवं फूलों का रस पीती हैं और फिर उनसे जो शहद तैयार होता है, उसका स्वाद और गुण एकदम उसी पौधे या फूल की तरह होता है.

गौर करने वाली बात यह है कि वीटीआर में तुलसी की खास प्रजाति वन तुलसी की भरमार है. तुलसी के इन पौधें के आसपास ही बड़ी संख्या में मधुमक्खी पालन किया जा रहा है. ऐसे में मधुमक्खियां उनका रस पीती हैं और शहद का निर्माण करती हैं. उनसे निर्मित शहद का स्वाद और गुण पूरी तरह से वन तुलसी का ही होता है.

शहद से कई ज्यादा, औषधीय गुणों का खजाना

पतंजलि के आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे की माने तो, वन तुलसी के पौधों से निर्मित शहद, शहद नहीं बल्कि वन तुलसी का रस हो जाता है. ऐसे में ये शहद पूरी तरह से औषधि में तब्दील हो जाता है. खास बात यह है कि इस प्रकार का प्राकृतिक शहद अपने गुणों से भरपूर तो होता ही, लेकिन इसमें सर्वाधिक गुण उक्त फूल, पौधे या फल का ही होता है. ऐसे में वन तुलसी वाले शहद को तुलसी के रस से निर्मित शहद कहा जा सकता है.

यह भी पढ़ें : एक ऐसा मंदिर…जहां 500 साल पहले चट्टान से प्रकट हुई थी प्रतिमा, यहां विदेशों तक से आता है शादी का पहला न्योता

बकौल आयुर्वेदाचार्य, जिस प्रकार कोविड के समय तुलसी ड्रॉप का इस्तेमाल घर-घर में होने लगा था, ठीक उसी प्रकार लोग तुलसी से निर्मित इस शहद का इस्तेमाल सर्दियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, त्वचा की रंगत को निखारने, गले की खराश को खत्म करने, कफ समस्या के निवारण, सर्दी, जुखाम इत्यादि के निवारण तथा इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए कर सकते हैं. इसमें आपको कई औषधीय गुणों की प्राप्ति होगी.

Tags: Champaran news, Health, Life, Local18

Source link

और भी

Leave a Comment

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स